रांची: राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय, रांची के अखड़ा परिसर में आज ‘करम पूर्व संध्या’ का आयोजन बड़े उत्साह और सांस्कृतिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. विष्णु चरण महतो उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक अखड़ा पूजा से हुई, जिसके बाद महाविद्यालय परिवार की ओर से प्राचार्य महतो को शॉलओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में डॉ. महतो ने कहा कि करम पर्व प्रकृति और आदिवासी संस्कृति के बीच मधुर संबंध का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने छात्रों को संस्कृति से जुड़े रहने और सामूहिकता की परंपरा को आगे बढ़ाने का संदेश दिया। इस अवसर पर मुण्डारी, कुड़ुख, नागपुरी, खोरठा और कुरमाली भाषा के विद्यार्थियों ने पारंपरिक करम गीत और नृत्य प्रस्तुत कर माहौल को संस्कृति और रंगों से सराबोर कर दिया। पूरा परिसर सामूहिकता और उत्सवधर्मिता से गूंज उठा। टीआरएल के डाॅ. अजीत मुण्डा ने विषय प्रवेश कराते हुए करम पर्व की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यहाँ की साझा संस्कृति लोगों को जोड़ती है। तभी तो कहा गया है “बोलना ही संगीत है, चलना ही नृत्य है”, “जे नाची से बांची” जो अखड़ा की ओर लोगों को आकर्षित करती है। उन्होंने बताया कि आज मुंडारी भाषा के ‘आदिवाणी’ ऐप का उद्घाटन किया जा रहा। यह भाषाओं के संरक्षण और विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मनीष चंद्र टूडू और डाॅ. नीलू कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर बर्सर नीतू कुमारी, डॉ. स्मिता किरण टोप्पो, डॉ. पी.पी. आशुतोष, सुनील कुमार, डॉ. कांति कुमारी, नैन्सी तिर्की, डॉ. दीपक प्रमाणिक, डॉ. पार्वती तिर्की, भुनेश्वर महतो, डॉ. रुचिका कुमारी, डॉ. भावना कुमारी, राजकुमार पाणिग्रही, ज्योति डुंगडुंग, सुषमा मुंह, अहिल्या कुमारी, लौलिन होरो, डॉ. सुरेश महतो, चेतना सागर, डॉ. माधुरी दास, पारुल खलखो, छाया रानी सहित अनेक प्राध्यापक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। अंत में, महाविद्यालय परिवार ने करम पर्व की सामूहिकता और सांस्कृतिक एकजुटता को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का समापन पारंपरिक गीत और नृत्य की गूंज के बीच हुआ।
राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय में ‘करम पूर्व संध्या’ का भव्य आयोजन
प्रकृति और संस्कृति के मधुर संबंध का उत्सव