बुंडू : सांस्कृतिक टीम तुम्बाल (The Collection) की ओर से गितिलडीह स्थित प्रधान कार्यालय में दिग्गज आदिवासी चिंतक, विद्वान, कलाकार पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की पुण्यतिथि सादगीपूर्ण माहौल में मनाई गई। इस अवसर पर उपस्थित संस्कृति कर्मियों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अधूरे सांस्कृतिक पुनर्जागरण को मंजिल तक पहुँचाने का संकल्प लिया। डॉ. रामदयाल मुंडा आदिवासी समाज के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने झारखंड की भाषाओं, लोककला और आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थापित किया। पुण्यतिथि अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ. मुंडा की सोच और दृष्टि आज भी सांस्कृतिक कर्मियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
बनमाली मुंडा बने तुम्बाल के सदस्य
इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि जाने-माने छौऊ नृत्य कलाकार बनमाली मुंडा ने टीम तुम्बाल की सांस्कृतिक गतिविधियों से प्रभावित होकर औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण की। उनके जुड़ने से टीम की सांस्कृतिक गतिविधियों को नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी। उपस्थित लोगों ने उनका स्वागत किया और कहा कि इससे आदिवासी नृत्य, संगीत और परंपराओं को और मजबूती मिलेगी। तुम्बाल टीम रुम्बुल की शाखा है।
टीम के सदस्यों की उपस्थिति
पुण्यतिथि कार्यक्रम में तुम्बाल (The Collection) टीम के निदेशक रविंद्र सिंह मुंडा सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे। इनमें सानिका मुंडा, दिगंबर मुंडा, रुहिदास मुंडा, सुरेंद्र मुंडा, जगन्नाथ मुंडा, रेणुका मुंडा, पार्वती मुंडा, जलेश्वरी मुंडा, राखी मुंडा, बरखा कुमारी, पाहान मुंडा, दुबराज मुंडा, पांडा मुंडा और सावना मुंडा प्रमुख रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि डॉ. रामदयाल मुंडा की सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए वे मिलकर कार्य करेंगे।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संकल्प
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि डॉ. मुंडा का अधूरा सपना आदिवासी समाज और संस्कृति को एक नई पहचान दिलाना था। आज यह जिम्मेदारी युवा पीढ़ी की है कि वे अपनी कला और संस्कृति को न सिर्फ संरक्षित करें बल्कि दुनिया के सामने गर्व से प्रस्तुत करें। यह आयोजन आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।