रांची: रांची विश्वविद्यालय के मुंडारी विभाग में नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप सिलेबस निर्माण और साहित्यिक गतिविधियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र कुमार सोय की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मुंडारी भाषा के भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge System – IKS) से संबंधित सिलेबस पर गहन विचार-विमर्श किया गया और इसके प्रारूप को अंतिम रूप देने पर चर्चा हुई। बैठक की शुरुआत शोधार्थियों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर की गई। तत्पश्चात विभागाध्यक्ष डॉ. सोय ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बैठक का विषय प्रवेश कराया। उन्होंने कहा कि “मुंडारी साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए अब अकादमिक स्तर पर संगठित प्रयास की आवश्यकता है।
नई शिक्षा नीति में भाषा और स्थानीय ज्ञान परंपरा को विशेष महत्व दिया गया है, जिसका लाभ मुंडारी विभाग को भी लेना चाहिए।” बैठक में यह भी तय किया गया कि विभाग द्वारा जल्द ही साहित्य सृजन कार्यशालाएं, लेखन प्रशिक्षण कार्यक्रम और शोध उन्मुख संगोष्ठियां आयोजित की जाएँगी। इसके अलावा, विभागीय पत्रिकाओं और पुस्तकों के नियमित प्रकाशन पर भी बल दिया गया ताकि मुंडारी भाषा के शब्दकोष, लोककथाएं और पारंपरिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर संरक्षित किया जा सके। बैठक में मुंडारी साहित्य की वर्तमान स्थिति पर विशेष चिंतन किया गया। विद्वानों ने बताया कि आज के समय में लेखन और प्रकाशन की गति धीमी है, जिसे नए उत्साही शोधार्थियों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बैठक में यह संकल्प लिया गया कि आने वाले समय में मुंडारी भाषा में अधिकाधिक लेख, कविताएँ, कहानियाँ और शोध-पत्र प्रकाशित किए जाएंगे।
इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मनाय मुंडा, डॉ. सिकरादास तिर्की, अबनेर लुगुन, करम सिंह मुंडा, डॉ. पार्वती मुंडू, डॉ. लखिन्द्र मुंडा, डॉ. खातिर हेमरोम, विशेषश्वर मुंडा, सबरन सिंह मुंडा, डॉ. अलविना जोजो, जयमुनी बड़ाएऊद्ध, सावित्री कुमारी, इंदिरा कंगाड़ी, करम सिंह ओड़ेया, अजीत मुंडा, तथा कई शोधार्थी — लेबयान, बिरसा मुंडा, सत्यनारायण मुंडा, सेरोपीना, लेखन प्रकाश मुंडा आदि उपस्थित रहे। बैठक का समापन मुंडारी साहित्य के नवजागरण और अकादमिक सशक्तिकरण के संकल्प के साथ हुआ।