नई दिल्ली. भारत में आवारा कुत्तों की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. सिर्फ दिल्ली में करीब 10 लाख से ज्यादा कुत्ते सड़कों पर घूमते हैं. इससे होने वाले हमलों और रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी के मामलों में बढ़ोतरी चिंता का कारण बन गई है. यह देखकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाकर आदेश दिया है कि अगले आठ महीने के भीतर दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर टीकाकरण, नसबंदी और देखभाल सुनिश्चित की जाए. हालांकि कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में विरोध भी शुरु हो गया है.
भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों ने भी आवारा कुत्तों की समस्या का सामना किया है और हर देश ने अलग-अलग तरीके से इस समस्या का समाधान निकाला है. अमेरिका में “एनिमल केयर सेंटर्स” जैसी संस्थाएं काम करती हैं, जो आवारा कुत्तों को शेल्टर होम्स में रखती हैं, उनका इलाज कर इच्छुक लोगों को गोद लेने का मौका देती हैं. वहां कुत्तों को कानूनी सुरक्षा भी मिली हुई है, जिससे उनकी देखभाल सुनिश्चित होती है.
ब्रिटेन में स्थानीय प्रशासन इसकी जिम्मेदारी को निभाता है. केवल 2023-24 के दौरान यहां करीब 36,000 आवारा कुत्तों को संभाला गया. कुत्तों को पकड़कर उनका टीकाकरण और नसबंदी की जाती है, ताकि उनकी संख्या नियंत्रित रहे. सिंगापुर ने आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाता है. यहां कुत्तों में चिप लगाई जाती है जिससे उनकी लोकेशन ट्रैक हो सके. पकड़े गए कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद शेल्टर होम्स में रखा जाता है और आम नागरिकों को उन्हें गोद लेने का मौका मिलता है.
तुर्की में 2020 तक करीब 40 लाख आवारा कुत्ते थे. वहां सरकार ने संसद से कानून बनाकर समस्या का समाधान शुरू किया. इसके बाद बड़े पैमाने पर कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में रखा गया, नसबंदी और टीकाकरण करवाकर और लोगों को उन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया. जापान में भी स्थानीय प्रशासन इस काम को देखता है. वहां कुत्तों को शेल्टर में रखकर उनकी नसबंदी और टीकाकरण की जाती है, साथ ही उन्हें गोद लेने की व्यवस्था भी है. हालांकि जापान में यह प्रावधान भी है कि अगर कोई कुत्ता खतरनाक या गंभीर रूप से बीमार हो तो तब मारने की अनुमति दी जाती है.
स्पष्ट है कि दुनिया के अलग-अलग देशों ने अपने संसाधनों और परिस्थितियों के अनुसार नीतियां बनाई हैं. कहीं कानून, कहीं तकनीक तो कहीं कानूनी संरक्षण के जरिए इस समस्या से निपटा जा रहा है. भारत के लिए भी इन मॉडलों से सीख लेना उपयोगी साबित हो सकता है.