बुंडू: गितिलडीह ग्राम में करम पर्व के शुभ अवसर पर मुंडा समुदाय का ऐतिहासिक और पारंपरिक अनुष्ठान गलोक कथा सोसो बोंगा बड़े उल्लास, श्रध्दा, भक्ति और आस्था के साथ सम्पन्न हुआ। यह अनुष्ठान मुंडा आदिवासी समाज की प्राचीन परंपराओं में से एक है, जो हर वर्ष करम पर्व के दौरान आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य कृषि की भरपूर पैदावार, गाँव की समृद्धि और सामूहिक एकजुटता की कामना करना है।
सोसो बोंगा मुंडा समाज की प्राचीन लोकगाथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी विशेषता यह है कि इसकी पूजा पद्धति पूरी तरह गीतों के माध्यम से सम्पन्न होती है। पारंपरिक धुनों के साथ किए गए। इस अनुष्ठान में ग्रामीण सामूहिक रूप से पूजा पारंपरिक रूप से संम्पन हुआ प्रस्तुत करते हैं। मान्यता है कि यह पूजा फसलों की उन्नति, पशुधन की वृद्धि और परिवार-समाज की खुशहाली सुनिश्चित करती है। इस अनुष्ठान में मुंडा समाज के कई बुद्धिजीवी, समाजसेवी और ग्रामीणजन शामिल हुए। इनमें प्रमुख रूप से तुलसी मुंडा (चंदनडीह), रविन्द्र सिंह मुंडा, सानिका मुंडा, शिवजन मुंडा, जगन्नाथ मुंडा, पाहन मुंडा, शुकदेव मुंडा, सुगना मुंडा, गौरसिंह मुंडा, सोमनाथ मुंडा और मानकी मुंडा (शिक्षक) उपस्थित रहे। इनके साथ-साथ सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए।
सामूहिक उल्लास और सांस्कृतिक चेतना
पूरे अनुष्ठान के दौरान गाँव का वातावरण सोसो बोंगा के आस्था से सराबोर हो गया। यह समूह में पारंपरिक एकता की भावनाएँ व्यक्त कर करम महोत्सव की सांस्कृतिक गरिमा को और बढ़ाने का है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का रहा, बल्कि इसने ग्रामीणों के बीच सामूहिक एकजुटता और सांस्कृतिक चेतना को भी मजबूत किया। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने फसल की भरपूर पैदावार, गाँव की सुख-शांति और सामूहिक एकजुटता की कामना की। गितिलडीह में आयोजित यह अनुष्ठान इस बात का जीवंत उदाहरण है कि करम पर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामूहिक श्रम, प्रकृति-पूजन और सांस्कृतिक एकता का पर्व भी है।